Baba Khetrapal Chalisa

दोहा :
खे़त्रपाल संकट हरॊ, मंगल करॊ सब काम ।
शरण तुम्हारी आन पड़े, दर्श दिखावॊ आन ॥
चालीसा तेरी गाऊँ मैं, दीजिए ज्ञान भरपूर ।
क्षमा करॊ अपराध सब, संकट कर दो दूर ॥

चौपाई
खे़त्रपाल तेरी महिमा न्यारी ।
रावतसर में दर्शन भारी ॥
राधे दास पहला दर्शन पाया ।
जिस ने तेरा नाम बढ़ाया ॥

रूद्र का अवतार धराया ।
खे़त्रपाल तुम नाम रखवाया ॥
सबके संकट हरने वाला ।
भक्तजनों का है रखवाला ॥

भैरों रूप में रचे सब लीला ।
शिव का गण, हम सब का दीना ॥
मुखड़े तेरे ते सिन्दूर विराजै ।
खड़ग त्रिशूल हाथों में साजै ॥

सिर पर जटा मुकुट विराजै ।
पांव में कंगना घुंघरू बाजै ॥
नैन कटोरे रूप विशाला ।
सब भक्तों का है रखवाला ॥


मस्तक आपके तिलक सुहावे ।
जो दर्शन करें वो अति-सुख पावे ॥
शिव अवतार श्री खे़त्रपाल नामा ।
ग्राम रावतसर पावन धामा ॥

लाल ध्वजा तेरे द्वारे साजै ।
तेल सिन्दूर चरणों में विराजै ॥
काले घोड़े की है सवारी ।
भक्तजनों का है हितकारी ॥

खे़त्रपाल का जो नाम ध्यावे ।
भूत प्रेत उसके निकट न आवे ॥
सत्ते माईयों का भाई कहलावै ।
उनकी संग में पूजा करावै ॥

जय अवतारी निरंजन देवा ।
सुर नर मुनि जन करें सब सेवा ॥
द्वारे तेरे ते जो भी आवें ।
बिन मांगे वह सब कुछ पावें ॥

शरण तेरी में हम सब आयें ।
तेरी जय-जय कार बुलायें ॥
तुम्हरा नाम लयै दुख भागे ।
सोई सुमित सम्पता जागे ॥

भीड़ पड़ी संगतों पे जब-जब ।
भये सहाय: खे़त्रपाल तुम तब-तब ॥
सच्चे मन से जो कोई ध्यावे ।
मन इच्छ फल तुम से पावे ॥

खे़त्रपाल जिन नाम ध्याया ।
अक्षय परम धाम तिन पाया ॥
जब-जब भगतों ने लिया सहारा ।
बाबा जी तुमने दिया सहारा ॥

बेबे जी में नूर समाया ।
सब भक्तों ने दर्शन पाया ॥
बेबे जी से मन्दिर बनवाया ।
बाबा जी तूने डेरा लगाया ॥

सुजावलपुर धाम की लीला न्यारी ।
दूर-दूर तक महक खिलारी ॥
धाम तेरे की बात निराली ।
सब भक्तों पर छाये लाली ॥

चौदस को जो तेल, सिन्दूर चढ़ावें ।
उनके सकल कष्ट मिट जावें ॥
सुजावलपुर धाम में अखण्ड ज्योत जगे है ।
दुष्ट जनों के पाप भागे ॥

सारे जग में महिमा तुम्हारी ।
दीन-दुःखियों के है हितकारी ॥
खे़त्रपाल तुम हो बलवाना ।
दुष्टों के तुम काल समाना ॥

बाबा जी तुम अन्तर्यामी ।
शरणागत के तुम हो स्वामी ॥
दीन दुःखी जो शरण में आते ।
उनके सारे दुःख मिट जाते ॥

भक्तों पर तुम कृपा करते ।
सिर पर हाथ दया का धरते ॥
अब खे़त्रपाल अरज सुनो मेरी ।
करो कृपा नहीं लाओ देरी ॥

सब अपराध क्षमा कर दीजों ।
दीन जनों पर कृपा कीजों ॥
प्रातः समय जो तुम्हें ध्यावें ।
वो नर मन वांछित फल पावें ॥

खे़त्रपाल की करे जो सेवा ।
तुम्हारे सामान कोई और न देवा ॥
खे़त्रपाल चालीसा जो गावें ।
जनम-जनम के पाप मिट जावें ॥

जो सत्तबार पाठ कर जोई ।
बाबा जी की कृपा होई ॥
संगत हम सब तेरे चरणन की दासा ।
पूरी करॊ सब की आशा ॥

दोहा :
जो लिखवाया लिख दिया ।
चरणों की हम धूल ।
चरण, शरण तुम्हारी पड़ा ।
इस को करॊ कबूल ॥

जय बेबे दी
अखियां उडीकदियां बेबे तेरे दर्शन नूँ ।
कदों मुड़के फेर पावणा तूँ ॥
काहनू पायां बिछोड़ा साथों तूँ ।
असी तक्दे हां राह तेरे दर्शन नूँ ॥

॥ दोहा ॥

बेबे सब पर मेहर करो, हम बच्चड़े अन्जान।
सिर झुकाए दर खड़े, दर्शन दयों हमें आन॥
चालीसा तेरा गाए हम, ज्ञान दयों भरपूर।
दीन जनों पे कृपा करो, कष्ट करें सब दूर॥

बेबे तेरी महिमा न्यारी।
सुजावलपुर में दर्शन भारी॥
बब्बर वंश में जन्म है पाया।
बाबा जी का ध्यान लगाया॥
डोंगर दास जी पिता कहावें।
माता फुल्ला बाई कहावें॥

राम प्यारी जन्म का नामा।
बचपन भक्ति भाव में लाना॥
चौधरी राम अबोहर वासी।
संग तुम्हारी हुई है शादी॥
बाबा जी ने खेल रचाया।
सन् 47 में नूर समाया॥
घर परिवार सबको न पाया।
कैसी रचाई प्रभु ने माया॥
हैनू वाला गाँव में पहला बसेरा।
फिर सुजावलपुर में किया बसेरा॥
सुजावलपुर के भाग जगाये।
बेबे जी खुद चलकर आये॥

मस्तक तेरे नूर विराजे।
मुख में वाणी मधुर है साजे॥
मुखड़े तेरे का तेज निराला।
दर्शन पावे कर्मों वाला॥
लाल चोला तेरे अंग विराजे।
गल पुष्पों की माला साजे॥
खूड़ी माला कर्म कमावे।
मुख से वचन ना खाली जावे॥
बाबा जी का हुआ वरदान।
महिमा करावे अपने समान॥
बेबे जी ने भक्ति कीनी।
बाबा जी ने शक्ति दीनी॥

भक्ति-शक्ति ने वो कर्म कमाया

बेबे जी से मन्दिर बनवाया

सुजावलपुर मन्दिर बनवाया।
बाबा जी का वास कराया॥
बना मन्दिर फिर धाम बनाया।
सब भक्तों का मान बढ़ाया॥
बेबे तेरी कैसी है माया।
अब तक कोई समझ न पाया॥
जय भगवान की माला जयकर।
बाबा जी का ध्यान है धरकर॥
जो कोई तेरी शरण में आया।
प्रेम प्यार से गले लगाया॥

सच्चे मन से जो कोई ध्यावे।
बेबे उसके मन बस जावे॥
हाथ पकड़ कर पार लगावें।
भगतों के सब कष्ट मिटावें॥
हाथ पकड़ कर बेबे अपने पास बिठावें।
नैया भव सागर से बेबे पार लगावें॥
दुखियों को बेबे गले लगावें।
भव सागर से पार लगावें॥
जिस पर तेरी मेहर हो जावे।
सुख सम्पत्ति धन वो पावे॥
श्रद्धा से जो चलकर आवे।
मुख माँगा वर तुझसे वो पावे॥

सुन्नी गोदी लाल खिलावें।
बहनों से तू भाई मिलावें॥
सेवा कर के कर्म कमाया।
93 सन में विछोड़ा पाया॥
समाधि बनायी डेरा लगाया।
जोत अपनी को है दशाया॥
इस जग में प्रकाश फैलाया।
जोत रूप में दर्श दिखाया॥
एकम चौदस को जो दर चलकर आवें।
लड्डू तेल सिन्दूर की जो भेंट चढ़ावें॥
जलेबी का जो भोग लगावें।
मन इच्छा फल तुझसे पावें॥

बरसी पर मेला लगे भारी।
दर्शन करते सब नर-नारी॥
बेबे जी की जय जयकार बुलावें।
भूत प्रेत जाके निकट न आवें॥
सुजावलपुर में वास तुम्हारा।
विमन नकली लाल तुम्हारा॥
बेबे जी ने खेल रचाया।
आशा जी को सेवा लगाया॥
सुभह शाम जो तुमको ध्यावें।
हर पल तुम्हारे दर्शन पावें॥
बेबे जी चालीसा जो कोई गावें।
बिगड़े उनके काम बनावें॥

लाल सतीश ने कर्म कमाया।
सब भक्तों के साथ में चालीसा गाया॥

॥ दोहा ॥

बेबे अपने भक्तों की, विनती करो स्वीकार।
हाथ जोड़ हम खड़े, दर्शन दयो ईकवार॥